(अ) सामाजिक स्थिति या रिश्तों को और (ब) कौन किसके साथ खाता है, के संघ काबिल ए गौर और जाना हुवा है.
2.
वैसे तो इस विषय पर बहुत कुछ कहा और लिखा जाता है, लेकिन जिस तरह से आपने खुद के अहसासों से जोड़ते हुए, इन अहसासों को छुआ है, काबिल ए तारीफ भी है और काबिल ए गौर भी।
3.
वरूण राए जी को यूं तो पोस्ट न पड़ने की वजह से इस बात पर टिप्पणी करने का हक नहीं था, लेकिन उन्होंने समझदारी दिखाते हुए बजाए उस पोस्ट पर टिप्पणी करने आपको अपनी जिम्मेदारी और आपके नजरिए पर आने वाली टिप्पणियों को खुले दिल से स्विकार करने की जो बात कही है वो भी काबिल ए गौर है।